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Thursday, 21 July 2011
कविता
कविता
संता - बंता, मैं जो कविता अब सुनाने जा रहा हूं ,
उसका शीर्षक है ‘आग, पानी और धुआँ।‘
बंता- तो एक शब्द में क्यों नहीं बोलता कि हुक्का है।
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